प्रवासी >> मेरा निर्णय मेरा निर्णयअभिमन्यु अनत
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हिन्दी के प्रतिष्ठित कथाकार अभिमन्यु अनत की बत्तीसवीं कृति...
मॉरिशस में जनमे हिन्दी के प्रतिष्ठित कथाकार अभिमन्यु अनत
ने भारत के हिन्दी पाठकों में भी एक ख़ासी लोकप्रियता हासिल की है।
उपन्यासों की कड़ी में ‘मेरा निर्णय’ उनकी बत्तीसवीं कृति है।
इस उपन्यास में मॉरिशस के महत्त्वाकांक्षी जनसमुदाय के कुछ प्रतिनिधि
चरित्रों की जीवनगाथा अंकित है। देश में बेकारी अपनी पराकाष्ठा पर है। इन
परिस्थितियों में नौकरी पाने के लिए नवयुवकों को अपने प्रभुसत्तात्मक देश
इंग्लैंड की ओर ताक लगाए रहना पड़ता है। उपन्यास की प्रमुख पात्र अमिता के
सामने भी यही एक विकल्प है। शिक्षण एवं आजीविका के लिए देश से बाहर जाना
जहाँ उसकी विवशता है वहीं अपने साथ हुए गाँव के एक हादसे की मानसिक पीड़ा
से भी वह उबरना चाहती है। अमिता का जीवन आधुनिकता और परम्परा के द्वन्द्व
से निर्मित रोचक आख्यान है।
अपने परिवार से दूर इंग्लैंड में नर्स का प्रशिक्षण, वहीं एक अस्पताल में नौकरी के दौरान एक फ्रांसीसी युवक से भेंट, दोस्ती, प्यार, शादी और फिर पति द्वारा छोड़ दिये जाने की मानसिक यातना को ख़ामोशी में झेलते रहने की विवशता। कथाकार ने स्त्री की आन्तरिक पीड़ा और मनः संकल्प के दोहरे रूप को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।
प्रस्तुत उपन्यास की कथाभूमि यद्यपि मॉरिशस की है, तथापि वहाँ की संस्कृति, संस्कार, मानसिक उद्वेग, हर्ष-विषाद आदि सबकुछ भारतीय परिवेश से मिलते-जुलते हैं। निःसन्देह यह उपन्यास लेखन के नये आयाम तो निर्मित करता ही है हिन्दी में लेखक की वैश्विक रचनात्मक उपस्थिति भी दर्ज़ कराता है।
अपने परिवार से दूर इंग्लैंड में नर्स का प्रशिक्षण, वहीं एक अस्पताल में नौकरी के दौरान एक फ्रांसीसी युवक से भेंट, दोस्ती, प्यार, शादी और फिर पति द्वारा छोड़ दिये जाने की मानसिक यातना को ख़ामोशी में झेलते रहने की विवशता। कथाकार ने स्त्री की आन्तरिक पीड़ा और मनः संकल्प के दोहरे रूप को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।
प्रस्तुत उपन्यास की कथाभूमि यद्यपि मॉरिशस की है, तथापि वहाँ की संस्कृति, संस्कार, मानसिक उद्वेग, हर्ष-विषाद आदि सबकुछ भारतीय परिवेश से मिलते-जुलते हैं। निःसन्देह यह उपन्यास लेखन के नये आयाम तो निर्मित करता ही है हिन्दी में लेखक की वैश्विक रचनात्मक उपस्थिति भी दर्ज़ कराता है।
अभिमन्यु अनत
जन्म : 9 अगस्त, 1937 को त्रिओले, म़रिशस में।
बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न साहित्यकार।
अठारह वर्ष हिन्दी का अध्यापन, तीन वर्ष तक युवा मन्त्रालय में नाट्यकला विभाग में नाट्य प्रशिक्षक। इसके उपरान्त दो वर्ष के लिए महात्मा गाँधी संस्थान में हिन्दी अध्यक्ष और अनेक वर्षों तक संस्थान की हिन्दी पत्रिका ‘वसन्त’ के सम्पादक रहे।
सम्प्रति मॉरिशस और भारत के साहित्यिक सम्बन्धों के सूत्रधार।
प्रकाशन : अब तक 70 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। प्रमुख हैं - लहरों की बेटी, मार्क ट्वेन का स्वर्ग, फैसला आपका, मुड़िया पहाड़ बोल उठा, और नदी बहती रही, आन्दोलन, एक बीघा प्यार, जम गया सूरज, तीसरे किनारे पर, चौथा प्रणाली, लाल पसीना, तपती दोपहरी, कुहासे का दायरा, शेफाली, हड़ताल कब होगी, चुन-चुन चुनाव, अपनी ही तलाश, पर पगडंडी मरती नहीं, अपनी-अपनी सीमा, गाँधी जी बोले थे, शब्द भँग, पसीना बहता रहा, आसमान अपना आँगन, अस्ति-अस्तु (उपन्यास); एक थाली समन्दर, ख़ामोशी की चीत्कार, इनसान और मशीन, वह बीच का आदमी, अब कल आयेगा यमराज (कहानी संग्रह); गुलमोहर खौल उठा, नागफनी में उलझी साँसें, कैक्टस के दाँत, एक डायरी बयान (कविता संग्रह)। दो जीवन ग्रन्थ भी। इसके अतिरिक्त चार प्रतिनिधि संकलन, एक अनुवादित पुस्तक तथा चार सम्पादित ग्रन्थ प्रकाशित।
पुरस्कार/सम्मान : उ.प्र. हिन्दी संस्थान, हिन्दी अकादमी, के.के. बिड़ला फाउंडेशन तथा जार्ज ग्रियर्सन पुरस्कार आदि।
बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न साहित्यकार।
अठारह वर्ष हिन्दी का अध्यापन, तीन वर्ष तक युवा मन्त्रालय में नाट्यकला विभाग में नाट्य प्रशिक्षक। इसके उपरान्त दो वर्ष के लिए महात्मा गाँधी संस्थान में हिन्दी अध्यक्ष और अनेक वर्षों तक संस्थान की हिन्दी पत्रिका ‘वसन्त’ के सम्पादक रहे।
सम्प्रति मॉरिशस और भारत के साहित्यिक सम्बन्धों के सूत्रधार।
प्रकाशन : अब तक 70 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। प्रमुख हैं - लहरों की बेटी, मार्क ट्वेन का स्वर्ग, फैसला आपका, मुड़िया पहाड़ बोल उठा, और नदी बहती रही, आन्दोलन, एक बीघा प्यार, जम गया सूरज, तीसरे किनारे पर, चौथा प्रणाली, लाल पसीना, तपती दोपहरी, कुहासे का दायरा, शेफाली, हड़ताल कब होगी, चुन-चुन चुनाव, अपनी ही तलाश, पर पगडंडी मरती नहीं, अपनी-अपनी सीमा, गाँधी जी बोले थे, शब्द भँग, पसीना बहता रहा, आसमान अपना आँगन, अस्ति-अस्तु (उपन्यास); एक थाली समन्दर, ख़ामोशी की चीत्कार, इनसान और मशीन, वह बीच का आदमी, अब कल आयेगा यमराज (कहानी संग्रह); गुलमोहर खौल उठा, नागफनी में उलझी साँसें, कैक्टस के दाँत, एक डायरी बयान (कविता संग्रह)। दो जीवन ग्रन्थ भी। इसके अतिरिक्त चार प्रतिनिधि संकलन, एक अनुवादित पुस्तक तथा चार सम्पादित ग्रन्थ प्रकाशित।
पुरस्कार/सम्मान : उ.प्र. हिन्दी संस्थान, हिन्दी अकादमी, के.के. बिड़ला फाउंडेशन तथा जार्ज ग्रियर्सन पुरस्कार आदि।
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